पाटली नदी के जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ: राजस्थान के कोटा जिले में जल संरक्षण और कृषि विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। पाटली नदी के जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री श्री मदन दिलावर ने किया। यह नदी कभी इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण जलधारा थी, लेकिन समय के साथ इसमें मलबा, कांच, पत्थर और अन्य अपशिष्ट पदार्थ जमा होते गए। इसके कारण नदी अपना मूल स्वरूप खो चुकी थी और जल प्रवाह पूरी तरह अवरुद्ध हो गया था।
अब 5 करोड़ रुपये की लागत से इस नदी को पुनर्जीवित किया जाएगा। इसके तहत नदी की तलछट में जमे कचरे और अवरोधकों को हटाया जाएगा। इससे नदी की चौड़ाई 40 मीटर तक की जाएगी और इसके किनारों को मजबूत किया जाएगा। इस प्रक्रिया से बाढ़ के दौरान खेतों में पानी भरने की समस्या समाप्त होगी और फसल की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। नदी के किनारों पर घाटों का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे स्थानीय लोगों को सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, जल संरक्षण के लिए बेड निर्माण की भी योजना बनाई गई है।
पाटली नदी के जीर्णोद्धार कार्य से होगा किसानों को लाभ
यह परियोजना दो चरणों में पूरी होगी। पहले चरण में रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र के 21 गांवों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस चरण में 4380 हेक्टेयर भूमि को लिफ्ट सिंचाई प्रणाली के माध्यम से पानी मिलेगा। इस सुविधा से किसानों को अपनी खेती के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा।
दूसरे चरण में रामगंजमंडी के 19 अन्य गांवों को जोड़ा जाएगा। इस दौरान 2670 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी। परियोजना पूरी होने के बाद कुल 40 गांवों को इसका लाभ मिलेगा। इससे खेतों को प्राकृतिक जल स्रोत से पानी मिलेगा और किसानों को अतिरिक्त खर्च की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पाटली नदी कभी ताकली नदी से भी बड़ी थी, लेकिन समय के साथ इसमें खदानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ डाले जाने लगे। इससे नदी का जल प्रवाह रुक गया और आसपास के खेतों में पानी भरने लगा। इससे न केवल खेती प्रभावित हुई, बल्कि जल संकट भी बढ़ने लगा।
पाटली नदी के जीर्णोद्धार के लिए मिले 5 करोड़ रुपये
अब शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर के प्रयासों से इस नदी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने इसके लिए 5 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। यह योजना जल संरक्षण, सिंचाई और पर्यावरण संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी।
नदी का पुनरुद्धार होने से भूजल स्तर में सुधार होगा और आसपास के क्षेत्र में हरियाली भी बढ़ेगी। इस परियोजना से न केवल किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि जल संकट को दूर करने में भी मदद मिलेगी। अगर इस तरह की और योजनाएं लागू की जाएं, तो राजस्थान के अन्य हिस्सों में भी जल प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सकता है।