महान है राजस्थानी इस अभियान में निकले नंबर 1

By Suman

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चल रहा गिव अप अभियान

राजस्थान के लोग अब पहले से ज्यादा जागरूक और संवेदनशील हो गए हैं। इसकी बड़ी मिसाल है हाल ही में सामने आया आंकड़ा, जिसमें करीब 17.52 लाख अपात्र लोगों ने खुद आगे आकर खाद्य सुरक्षा योजना से नाम हटवा दिया है। यह काम ‘गिव अप अभियान’ के तहत हुआ है। इस फैसले से सरकार को बड़ी राहत मिली है और वंचित वर्ग को भी राहत का रास्ता खुला है।

चल रहा गिव अप अभियान

राज्य सरकार ने पिछले वर्ष गिव अप अभियान की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य था कि जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे सरकारी अनाज और सब्सिडी लेना छोड़ें। यह योजना स्वैच्छिक आधार पर थी, यानी कोई भी व्यक्ति यदि खुद को योजना का पात्र नहीं मानता, तो वह अपना नाम सूची से हटा सकता है।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक 17.52 लाख लोगों ने खुद को खाद्य सुरक्षा सूची से अलग कर लिया है। इससे सरकार को हर साल 324 करोड़ रुपये की बचत होगी।

अब जरूरतमंदों को मिलेगा हक का राशन

राजस्थान सरकार की इस पहल से वंचित और पात्र परिवारों को बड़ा फायदा हुआ है। सरकार ने अब तक करीब 33 लाख नए लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत जोड़ा है। इसमें से 19.70 लाख लाभार्थी तो सिर्फ पिछले कुछ महीनों में ही जोड़े गए हैं।

2023 में 12.95 लाख लोग, और अब 2024-25 में 19.70 लाख से ज्यादा लोग इस योजना से जुड़ चुके हैं। इसका सीधा लाभ उन लोगों को मिल रहा है, जो अब तक योजना से बाहर थे लेकिन वास्तव में उन्हें इसकी जरूरत थी।

ई-केवाईसी ना करने वालों के नाम भी हटे

सरकार ने यह भी बताया कि जिन लोगों ने समय पर ई-केवाईसी नहीं करवाई, उनके नाम भी खाद्य सुरक्षा सूची से हटा दिए गए हैं।

31 मार्च 2025 तक ई-केवाईसी नहीं करवाने वाले करीब 27 लाख लाभार्थियों का नाम लिस्ट से हटा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार ई-केवाईसी अब अनिवार्य कर दी गई है।

इससे भी काफी हद तक फर्जी लाभार्थियों की पहचान हो पाई है और योजनाओं का लाभ अब सही लोगों तक पहुंच रहा है।

रसोई गैस और मां योजना का लाभ भी जुड़ा

राजस्थान सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़े लोगों को अन्य योजनाओं का लाभ भी देना शुरू किया है।
इनमें प्रमुख हैं:

  • मुख्यमंत्री रसोई गैस सब्सिडी योजना, जिसमें 450 रुपये में गैस सिलेंडर मिल रहा है।
  • मां योजना, जिसके तहत निःशुल्क उपचार की सुविधा दी जा रही है।

लेकिन जिन लोगों ने खाद्य सुरक्षा सूची से नाम हटवाया है, या अपात्र हैं, उन्हें इन योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा। इससे सरकार को और अधिक बजट की बचत होगी।