रविवार को अलवर में आयोजित विप्र फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने अलवर के सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा में साल में कम से कम तीन सत्र आयोजित होने चाहिए, जैसे कि लोकसभा में होता है। इसके लिए आगामी नवंबर में एक नया सत्र बुलाने की योजना बनाई जा रही है।
विधानसभा को पेपरलेस बनाने की घोषणा
देवनानी ने कहा कि विधायकों के सवालों के जवाब दिलाने और अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि पिछले विधानसभा कार्यकाल के दौरान 6,000 से अधिक सवालों के जवाब शेष रह गए थे, जिन्हें उनके विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद प्राथमिकता के साथ निपटाया गया है। इस विधानसभा के दो सत्रों में विधायकों के अधिकांश सवालों के जवाब दिलवाए गए हैं।
विधानसभा समितियों को अधिक सक्रिय बनाने के प्रयासों के बारे में भी देवनानी ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समितियों के अध्यक्षों से मिलकर उनकी जानकारी ली गई है ताकि वे अपने कार्यों में और अधिक सक्रिय हो सकें।
राज्य में नए जिलों के गठन पर टिप्पणी करते हुए देवनानी ने कहा कि पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के अंत में कुछ छोटे-छोटे जिले बनाए, जिनमें से कुछ जिलों में जिला परिषद का गठन भी संभव नहीं है। पंवार समिति ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, और सरकार को इस रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।
इसके साथ ही, देवनानी ने घोषणा की कि राजस्थान विधानसभा को पूरी तरह से पेपरलेस बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत सभी विधायकों को दो आईपेड दिए जाएंगे—एक उनके व्यक्तिगत उपयोग के लिए और दूसरा विधानसभा में। इन आईपेड्स पर विधायकों को सवाल-जवाब और विधानसभा की अन्य कार्यवाही की जानकारी मिल सकेगी।
इस घोषणा के साथ ही देवनानी ने यह भी सुनिश्चित किया कि पेपरलेस सिस्टम लागू होने से विधानसभा के कार्यों में और अधिक पारदर्शिता और कार्यक्षमता आएगी।