राजस्थान सरकार ने पशुपालन क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा में वित्त एवं विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। उन्होंने बताया कि पाली जिले में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इंडिजिनस फार्म’ की स्थापना की जाएगी। पाली जिले में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इंडिजिनस फार्म का मुख्य उद्देश्य देशी पशुओं का संरक्षण और संवर्द्धन करना होगा।
देशी नस्ल के पशु भारतीय कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन आधुनिक तकनीकों और विदेशी नस्लों के बढ़ते उपयोग से देशी पशुओं की संख्या में गिरावट आ रही है। इस स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने 10 करोड़ रुपये की लागत से इस सेंटर को विकसित करने का निर्णय लिया है। यह केंद्र पशुपालकों को आधुनिक प्रशिक्षण, अनुसंधान और उन्नत पशुपालन तकनीकों की जानकारी प्रदान करेगा। इससे पशुपालक अपने पशुओं की देखभाल और नस्ल सुधार की प्रक्रिया को वैज्ञानिक तरीके से कर सकेंगे।
पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार
मुख्यमंत्री ने पशुपालकों के लिए पशु चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि बग्गड़ (झुंझुनू) और गंगापुर (भीलवाड़ा) के प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालयों को पॉलीक्लिनिक में बदला जाएगा। इससे इन क्षेत्रों के पशुपालकों को बेहतर उपचार सेवाएँ मिलेंगी। इसके अलावा, बावड़ी खुर्द (फलौदी) पशु चिकित्सालय को प्रथम श्रेणी में अपग्रेड किया जाएगा। जोधपुर के धीरपुरा में पशु उप-चिकित्सा केंद्र को पशु चिकित्सालय के रूप में क्रमोन्नत किया जाएगा।
राज्य में कई ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सुविधाएँ सीमित हैं। पशुपालकों को अपने बीमार पशुओं के इलाज के लिए दूर-दराज जाना पड़ता है। लेकिन इन नए अपग्रेड से स्थानीय स्तर पर ही आधुनिक पशु चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध होंगी। इससे न केवल पशुओं की सेहत में सुधार होगा, बल्कि पशुपालकों की आय भी बढ़ेगी।
गौशालाओं को सहायता और पशुपालक विद्यालय की स्थापना
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार गौशालाओं के संरक्षण और विकास के लिए बड़ा कदम उठा रही है। पिछले एक साल में राज्य की गौशालाओं को 1233 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। यह सहायता राशि गौशालाओं में रहने वाले पशुओं की देखभाल, चारा प्रबंधन और चिकित्सा सेवाओं पर खर्च की जाएगी। इससे गौशालाएँ आत्मनिर्भर बनेंगी और गायों को बेहतर संरक्षण मिलेगा।
इसके अलावा, सरकार ने राजसमंद में निष्क्रमणीय पशुपालक विद्यालय खोलने की भी घोषणा की। यह विद्यालय उन पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा जो वैज्ञानिक और आधुनिक पशुपालन तकनीकों को सीखना चाहते हैं। यहाँ उन्हें पशु प्रजनन, चारा प्रबंधन, डेयरी व्यवसाय और आधुनिक पशु चिकित्सा तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस पहल से पशुपालन क्षेत्र को नया आयाम मिलेगा और राज्य के पशुपालकों को अधिक आर्थिक लाभ होगा।