एनएफएसए घोटाला: 70 हजार सरकारी कर्मचारियों से वसूले गए 83 करोड़, गरीबों का गेहूं हड़पने का मामला

By Suman

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एनएफएसए घोटाला

राजस्थान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत एक बड़ा घोटाला सामने आया है। 83 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों ने गरीबों के हक का सस्ता गेहूं गलत तरीके से उठा लिया। अब तक 70 हजार कर्मचारियों से सरकार ने 83 करोड़ 66 लाख रुपये की वसूली कर ली है। बाकियों से भी वसूली की कार्रवाई चल रही है।

एनएफएसए घोटाला कैसे हुआ घोटाला?

यह मामला सबसे पहले साल 2020 में सामने आया, जब कुछ सरकारी कर्मचारी एनएफएसए के लाभार्थी बनकर सिर्फ 2 रुपये प्रति किलो के भाव से गेहूं ले रहे थे। बाद में जांच हुई तो पता चला कि हजारों कर्मचारी इस योजना का गलत फायदा उठा रहे थे।

बाजार रेट पर वसूली

सरकार ने गेहूं की वसूली बाजार रेट 27 रुपये किलो के हिसाब से की है, ताकि सरकारी खजाने को हुए नुकसान की भरपाई हो सके। ये कर्मचारी राज्य और केंद्र सरकार दोनों के हैं। जांच में पाया गया कि ये गेहूं गरीबों के नाम पर लिया गया था, लेकिन असल में फायदा सरकारी मुलाजिम उठा रहे थे।

किन जिलों में सबसे ज्यादा मामले?

खाद्य आपूर्ति विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इन जिलों में सबसे ज्यादा कर्मचारी शामिल थे:

  • दौसा – 7702
  • बांसवाड़ा – 6147
  • जयपुर ग्रामीण – 6243
  • अलवर – 6027
  • उदयपुर शहर – 5267

वहीं, भरतपुर ग्रामीण और उदयपुर ग्रामीण जैसे इलाकों में कोई भी सरकारी कर्मचारी इस घोटाले में शामिल नहीं पाया गया।

वसूली जारी, नोटिस भेजे जा चुके हैं

खाद्य आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने बताया कि वसूली की प्रक्रिया लगातार चल रही है। जिन कर्मचारियों ने अभी तक पैसे जमा नहीं कराए हैं, उन्हें कड़ा नोटिस भेजा गया है। अगर भुगतान नहीं हुआ, तो कानूनी कार्रवाई होगी।

‘गिवअप’ करने वालों की संख्या 18 लाख पार

राज्य सरकार की अपील के बाद 18 लाख 68 हजार से ज्यादा अपात्र लोगों ने खुद ही योजना छोड़ दी है। इससे हर साल सरकार को 342 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। 26 जनवरी 2025 से योजना का पोर्टल फिर से शुरू किया गया है और अब तक 23.90 लाख नए पात्र लोग योजना में जुड़े हैं। उन्हें भी 2 रुपये प्रति किलो गेहूं दिया जा रहा है।

गरीबों को अब मिलेगा असली हक

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का असर अब दिखने लगा है। गड़बड़ी करने वाले कर्मचारी पकड़ में आ चुके हैं और हजारों अपात्र लोग खुद योजना छोड़ चुके हैं। इससे अब वास्तव में जरूरतमंद लोगों को सस्ता अनाज मिल सकेगा, जो योजना का असली उद्देश्य है।